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हमारे ग्रह में कीट लगभग सभी पारिस्थितिक तंत्रों में बहुलता में पाए जाते हैं। कीटों की आश्च र्यजनक सफलता के पीछे जो कारक हैं, उनमें से एक कारक है उनके शरीर का छोटा आकार होना। इसलिए, रा.कृ.की.सं. ब्यू रो ने इस वर्ष किकिकिहुना, जो कि एक अंड परजीव्याभ है और जो पृथ्वी पर सबसे छोटा कीट है तथा उड़ने में सक्षम है, की खोज की। यह विरल कीट देश के अधिकतर भागों में नहीं पाया जाता है। रा.कृ.की.सं. ब्यू रो द्वारा पिछले वर्ष के दौरान की गई यह खोज एक खजाने की तरह है। ब्यूरो के वर्गिकी वैज्ञानिक नियमित रूप से विशिष्ट कीट जीवों की खोज करने के लिए विभिन्न कृषि पारितंत्रों का सर्वेक्षण करते हैं, जिनमें उत्तर पूर्व, अंडमान और पश्चिमी घाट शामिल हैं। भारत में नहीं पाये जाने वाले कई कीटों (टैक्सा्) की खोज की गई और उनका प्रलेखीकरण किया गया। जिन प्रमुख कीटों का अध्ययन किया गया, उनमें प्लैटीगैस्ट्रोइडिया, माइक्रोगैस्ट्रीने, ट्राइकोग्रामाटिडे, टेफ्रीटिडे, थाइसेनोप्टेरा, फॉर्मिसिडे, माइमैरिडे, एफीलिनिंडे, टैरोमैलिडे, एनसीरिटिडे, स्फीसिडे, एफिडिडे, कोकोइडिया, सेरेम्बाइसीडे शामिल हैं। और पढो